भारत देश एक विकासशील देश है| किसी भी राष्ट्र के विकास में स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, रोजगार आदि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उन्नति करना एवं बेहतर सेवाएं प्रदान करना ही प्रमुख कार्य होता है| भारत में व्यक्तिगत स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराना एक चुनौती है, विशेष रूप से बड़ी भौगोलिक दूरियों और सीमित संसाधनों के होते हुए टेलीमेडिसिन के प्रमुख लाभों में से एक लाभ लागत और प्रयास की बचत हो सकती है, विशेष रूप से ग्रामीण मरीजों की क्योंकि परामर्श और इलाज़ उपलब्ध कराने में ही नहीं बल्कि तीव्रतर इलाज़ प्राप्ति में एक उत्तम समाधान उपलब्ध करा सकती है| यह यात्रा से संबंधित वित्तीय लागत भी कम करेगी| यह परिवार और देखभाल करने वाले व्यक्तियों तथा सामाजिक कारणों से होने वाली असुविधाओं / उन पर पड़ने वाले प्रभावो को भी कम करेगी| टेलीमेडिसिन ऐसे मामलों में विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जहाँ मरीज को भौतिक रूप से पंजीकृत चिकित्सक (R.M.P.) से मिलने की आवश्यकता नहीं है, अर्थात नियमित जांच या निरंतर मॉनिटरिंग के लिए टेलीमेडिसिन द्वितियक अस्पतालों पर पड़ने वाला भार कम कर सकती है|

टेलीमेडिसिन मरीज की सुरक्षा और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा उपलब्ध कराती है, विशेष रूप से ऐसी स्थितियों में जिसमे संक्रामक संक्रमणों का खतरा हो| ऐसी अनेक प्रोद्योगिकियों हैं, जिनका उपयोग टेलीमेडिसिन में किया जा सकता है जिससे बीमारियों का बेहतर ढंग से प्रबंधन करने में मरीजों की सहायता की जा सकती है| टेलीमेडिसिन रक्तचाप, मधुमेह (शुगर) प्रबंधन आदि जैसे चिकित्सीय उपकरणों की सहायता से, चिकित्सक को उपलब्ध मरीजों के महत्वपूर्ण पैरामीटरों की उपलब्धता को भी समर्थ बनाती है|

देश में आपदाएं और महामारियां स्वास्थ्य सुरक्षा करने के प्रति अनूठी चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं| जिनमें चिकित्सक (R.M.P) मरीजों का मूल्यांकन और प्रबंधन कर सकते हैं| ऐसे प्रकोपों के समय में स्टाफ को वायरस/ संक्रमणों को खतरे में डाले बिना टेलीमेडिसिन विजिट किए जा सकते हैं| टेलीमेडिसिन प्रैक्टिस स्वास्थ्य सुरक्षा कर्मियों और मरीज दोनों को होने वाले खतरे को कम करके संक्रमण रोगों के संचारण का रोकथाम कर सकती है| टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल करके स्वास्थ्य सुरक्षा की प्रदायगी में शामिल लोगों को आवश्यक और अपरिहार्य खतरे से बचाया जा सकता है और मरीजों की दूर से ही स्क्रीनिंग की जा सकती है, यह ऐसे चिकित्सा व्यवसायियों को तीव्र पहुँच उपलब्ध करा सकती है, जो संभवतः व्यक्तिगत रूप से तत्काल उपलब्ध न हो|

हमारे देश की सरकार सभी को उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल की समान पहुँच उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है और स्वास्थ्य प्रणाली के समग्र रूपांतरण के लिए डिजिटल स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण समर्थकारी है| इसलिए स्वास्थ्य प्रणालियों में टेलीमेडिसिन को मुख्य धारा में लाना पहुँच के प्रति असमानता और अवरोधों को न्यूनतम करेगा| भारत की डिजिटल स्वास्थ्य नीति स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणाली की दक्षता और परिणामो में सुधार करने के लिए डिजिटल साधनों के उपयोग की वकालत करती है और टेलीमेडिसिन सेवाओं के उपयोग पर महत्वपूर्ण ध्यान केन्द्रित करती है| विशेष रूप से ग्रासरुट स्तर पर स्थित स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों में जिनमें समय से और सर्वोत्तम संभव देखभाल उपलब्ध कराने में मध्यस्तरीय सेवा प्रदाता / स्वास्थ्यकर्मी , मरीजों को प्रोदयोगिकी मंचो के जरिये पंजीकृत चिकित्सक (R.M.P) के साथ जोड़ सकते हैं|

विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) के अनुसार टेलीमेडिसिन की परिभाषा –

“जहाँ दूरी एक महत्वपूर्ण कारक है, ऐसी स्थिति में बीमारी और चोटों के निदान, इलाज़ और रोकथाम, अनुसंधान और मूल्यांकन के लिए वैध सूचना के आदान-प्रदान हेतु और व्यक्तियों तथा उनके समुदायों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के समग्र हित में स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदाताओं की शिक्षा जारी रखने हेतु सूचना और संसूचन प्रोद्योगिकियों का इस्तेमाल करके सभी स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवसायविदों द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा सेवाओं की प्रदायगी|”

देश के ग्रामीण क्षेत्र में टेलीमेडिसिन के माध्यम से पंजीकृत चिकित्सक (R.M.P) द्वारा स्वास्थ्य कर्मी के सहयोग से Health and Wellness Sub-center पर किए जाने वाले इलाज़/परामर्श एवं ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने हेतु स्वास्थ्य कर्मी को ग्रामीण क्षेत्र में Health and Wellness Sub-center पर स्वास्थ्य कर्मी के रूप में कार्य करने हेतु प्रशिक्षित/प्रोत्साहित करने के साथ-साथ ग्रामीण आम-जन को टेलीमेडिसिन के माध्यम से इलाज़ कराने हेतु जागरूक करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ई-संजीवनी के माध्यम से किए जा रहे इलाज़/परामर्श का लाभ आम-जन तक पहुँचाने हेतु एसोसिएशन के सदस्यों (स्वास्थ्य कर्मी ) के सहयोग से कार्य किया जा रहा है| जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर सही इलाज़ के अभाव में होने वाली आकस्मिक मृत्यु दर, शारीरिक तकलीफों एवं क्षतियों को कम करते हुए अस्पतालों में होने वाली भीड़ को कम किया जा सके एवं बच्चों, वृद्ध व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं, को परिवहन के कारण होने वाली असुविधा से बचाव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य समस्या को कम किया जा सके|